कुछ मिले ना मिले,उसके आंचल में छाँव मिले,
जन्नत मिली.जो मुझे माँ के पाँव मिले
बदल सा गया हूँ शहर में रहते रहते,
अब दोस्त मिले तो गाँव सा बफादार मिले
अजब हाल है कि वक़्त नही मरने को,
ऐ ज़िन्दगी कभी तुझे भी मेरा ख़याल मिले
चलो एक बार फिर दिल पे पत्थर रख लें,
अदब से बोलें,गर वो मुस्कुरा के मिले
फ़र्ज़,ईमान,रूह,जमीर सब देखे बेचकर,
अब मिले तो कोई खुदा का खरीददार मिले
सच अच्छा है,मगर हर जगह बोला नहीं जाता,
ये वो तजुर्बे हैं जो हमें समाज से मिले
- कुमार