Thursday 30 August 2012

बदलता इंसान ..



इंसानियत  की  दहलीज़  को  पार  कर,
हैवानियत   के  संसार  में  खो  गया  है  वो 
मार  कर  अपने   ज़मीर   को ,
खुद  का  ही  क़ातिल  हो  गया  है  वो
अपने  पराये  का जो  भेद  जानता भी  न  था ,
आज  अहम् ( मैं )  के सागर  में  डूब  गया है  वो 
चंद  सिक्कों   की  खातिर  दगा  करने  लगा,  
प्रेम   की  भाषा  का  मोल  भूल  गया  है  वो 
खुद  में  ही  जब  इंसानियत  का  वजूद  मिट  गया, 
तो  दूसरों  से  उम्मीद  क्यों  करने  लगा  है  वो ?
कभी  खुदा  का  बन्दा  रहा  होगा ,
पर  आज  हैवान  सा  लगने  लगा  है  वो ...

Mrs. Nirmala kumar 





Monday 27 August 2012

कुछ पल...




( १ )
तेरी यादें भी सफ़र से कम नहीं,
मैं ठहरकर भी चलता रहता हूँ    

( २ )
तेरी सादगी पर सैकड़ों अफ़साने लिख देता,
मगर अल्फाज़ भी अब तेरा दीदार करते हैं  

( ३ )
कितना मशरूफ है वो इश्क की शर्तें निभाने में,
इक हम हैं कि हर पल यूँ ही बर्बाद होते हैं 

( ४ )
तेरी उल्फ़त मुझे एक रोज़ बर्बाद कर देगी,
तुझे फुर्सत नही खुद से,मुझे मेरी खबर नहीं

( ५ )
मुझसे खफ़ा होना तो इस कदर होना,
कि मुद्दत्तें लग जायें तुझको मनाने में

( ६ )
मैं तुझको सोचता रहता हूँ खाबों में,खयालों में,
मेरी दीबानगी हर पल तेरे जैसे संवरती है

( ७ )
किसी भी दर्द की चौखट पर अब दिल नहीं झुकता,
कमबख्त बहुत रोता था,आँख की तरह

( ८ )
तकती आँखों की फिर आज तमन्ना है वही,
हँसे फिर आज मुझ पर मेरा चाहने वाला

( ९ )
तू हौंसला तो रख जरा,मेरे वजूद पे,
सारी दुनियाँ तेरा सजदा करेगी एक दिन

( १० )
कभी जो चलता था मेरी उंगली थामे,
आज वही मुझसे मेरा नाम पूछता है

- kumar

Thursday 23 August 2012

एक ख्वाब ऐसा भी...

( मेरे ब्लॉग  पर पहली बार....मेरे लिए कुछ लिखता मेरा प्यार....)



ख्वाब  था  इक रोज़  मेरे लिए तू , पर मुझे सुकून देता था वो  ख्वाब 
तेरी  बातें , तेरी  नादानी , तेरा वो समझाना मुझे  
सब जानते  हुए  भी  नादां  बनी  बैठी  थी 
पर  सच  से  कब तक  मुँह   मोड़ती
तू  आया  इक दिन  मेरे  लबों  की  हँसी  लेकर 
देख , आज  भी  वो  मुस्कुराहट   बरकरार  है
टूट  जाता  अगर  मेरा  ख्वाब  ऐसे  ही,
तो  ना  मैं  होती , ना  मुझे  बनाने  वाला , ना  वो  ख्वाब  दिखाने  वाला  
इक  दिन  आँखें   मीचे  सोयी  थी , तूने  धीरे  से  खोला  उन्हें ,
और  कहा , देख  तो  ज़रा  तेरा ख्वाब  मुकम्मल  है
हाँ  मुझे  याद  आता  है , वही  ख्वाब  जो  इक  रोज़  देखा  था 
आज  हकीकत   बन  सामने  है  मेरे ...

-  Mrs.Nirmal kumar



Saturday 11 August 2012

हाइकू




१ )
घुटती साँसें
दोतरफा  जिंदगी 
यह  मौत  है,

( २ )
बन  जाता  है
एक  भूखा  इंसान
गुनहगार 

( ३ )
दिल  से  पूछो
मेरा  नसीब  क्या  है 
ख़ाली  हथेली,

( ४ )
कडुवा  सच 
झूठी  दुनिया  सारी
अजीब  है  ना,

( ५ )
धुंधले  शब्द 
गहराती  तस्वीर 
मेरी  कहानी,

- kumar

Wednesday 1 August 2012

हाइकू......



(१)
कूड़े का  ढेर
ढूंढ़ता बचपन
मासूम बच्चा

(२)
तुम  और  मैं
बगावती   दुनियाँ 
लड़ेंगे  कैसे  ?

(३) 
चार  दीवारी 
उम्र  भर  की  कैद 
बेबस  खुदा

(४)
सब  पराये 
तुमसा  नही  कोई 
मेरा  अपना 

(५)
दंगे  फ़साद 
हर  सुबह  ऐसी 
बीरानी  रात

- kumar 

जमीं पे कर चुके कायम हदें, चलो अब आसमां का रुख करें  - अरविन्द