इस क़दर चाहा उसे दुश्मन ज़माना हो गया ,
जो सितारा था बुलंद,गर्दिशों में खो गया
किसको पूछें राह अब,किससे कहें हाल-ए-दिल,
जो शहर रोशन कभी था,आज वीरां हो गया
जिस ख़ुदा के सामने कसमें उठायीं प्यार की,
वो भी हिम्मत हार कर गुमशुदा सा हो गया
ऐ जहां के दुश्मनों,कोई ज़ख्म ताज़ा दो हमें,
उनकी खातिर ज़ख्म सहना अब पुराना हो गया
है असर क्या इश्क का,इतिहास लेकर देखिये,
ज़ुल्म करने वालों को भी नाम हासिल हो गया
- कुमार