मेरी 50 वीं पोस्ट मेरे ब्लॉग पर...
देखना है तो फिर खुलकर तमाशा देखिये
जो नहीं मुझ पर यकीं तो आज़मा कर देखिये
जो नहीं मुझ पर यकीं तो आज़मा कर देखिये
गाँव से अच्छी लगी दिल्ली मगर बस चार दिन,
आइये इस शहर में कुछ दिन बिताकर देखिये
आइये इस शहर में कुछ दिन बिताकर देखिये
कोई भी अखबार लो ख़बरें वही सब एक सी ,
मार दी एक और बहू ज़िन्दा जलाकर देखिये
मार दी एक और बहू ज़िन्दा जलाकर देखिये
शर्म से, फाँसी लगाकर मर गयी इंसानियत,
वहशियों का हौसला बढ़ता यहाँ फिर देखिये
वहशियों का हौसला बढ़ता यहाँ फिर देखिये
इश्क हमने भी किया था, जान पर बन आयी थी,
हो जरा भी हौसला, तब दिल लगाकर देखिये
हो जरा भी हौसला, तब दिल लगाकर देखिये
-कुमार
8 comments:
बहुत सटीक लिखे हैं आप
सादर
आक्रोश -
शुभकामनायें आदरणीय ||
इश्क हमने भी किया था, जान पर बन आयी थी,
हो जरा भी हौसला, तब दिल लगाकर देखिये
ha ...ha ...ha ....
bahut khoob ....!!
गाँव से अच्छी लगी दिल्ली मगर बस चार दिन,
आइये इस शहर में कुछ दिन बिताकर देखिये
बहुत सुन्दर भावनात्मक प्रस्तुति .एक एक बात सही कही है आपने नारी खड़ी बाज़ार में -बेच रही है देह ! संवैधानिक मर्यादा का पालन करें कैग
सार्थक पंक्तियाँ ....शुभकामनायें
50वीं पोस्ट की बधाई
वाह बहुत खूब
हर अहसास से गुज़रे हो ...फिर लिखी है ये पोस्ट :)
बहुत ही बढ़िया पंक्ति......
आप भी पधारो आपका स्वागत है .....मेरा पता है ......pankajkrsah.blogspot.com
Post a Comment